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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2644
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।

अथवा
किशोरावस्था से आप क्या समझती हैं? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ लिखिये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. किशोरावस्था को परिभाषित कीजिए।
2. किशोरावस्था की विभिन्न अवस्थाएँ बताइए।

उत्तर -

किशोरावस्था के बालक को न तो बालक कहा जा सकता है और न ही प्रौढ़। यह अवस्था बाल्यावस्था के अंत तथा युवावस्था के प्रारम्भ के मध्य की अवस्था है। इस अवस्था में यदि किशोर बालक की तरह व्यवहार करता है तो भी माता-पिता टोकते हैं, “अब बड़े हो गये हो, बालकों की भाँति व्यवहार करना छोड़ दो।" इसी प्रकार यदि वह वयस्क की तरह व्यवहार करता है तो उसे यह कहा जाता है कि “अभी तुम इतने बड़े नहीं हुए हो कि ऐसी बातें करों।” अतः इनकी स्थिति बड़ी ही विचित्र होती है। इसीलिए कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इस अवस्था को “क्रांतिक अवस्था” (Critical phase) कहा है तो कुछ ने “संक्रमण काल की अवस्था” (Infection Period) की संज्ञा दी है। कुछ मनोवैज्ञानिक इसे 'टीन एजर' (Teen Ager) भी कहते हैं क्योंकि यह अवस्था '13 से 19 वर्ष तक की मानी जाती है। कुछ मनोवैज्ञानिक इस अवस्था को “वयः संधि की अवस्था" (Puberty age) भी कहते हैं। जी स्टानले हॉल (G. Stanley Hall) ने इसे विकास का 'संकटपूर्ण समय' बताया है।

किशोरावस्था मानव जीवन की सबसे सुन्दर एवं स्वर्णिम अवस्था है। इस अवस्था में जीवन तरंग अपने सर्वोच्च शिखर पर पहुँच जाती हैं। किशोर-किशोरियाँ रंग-बिरंगे सपने देखते हैं। अपने भविष्य निर्माण हेतु ताना-बाना बुनते हैं। किशोरावस्था के अंत तक किशोर-किशोरियों का शारीरिक एवं मानसिक विकास पूर्ण हो जाता है। अब एक लड़की एक स्त्री की तरह तथा लड़का एक पुरुष की तरह दिखने लगता है। शरीर भरा-भरा एवं सुन्दर दिखता है। उनके चेहरे पर एक विशेष प्रकार की रौनक एवं जादुई आकर्षण होता है। वह मनोरंजन एवं फैशन के संसार में डूब जाता है। उसमें असीम शक्ति होती है, अक्षय ऊर्जा का भंडार होता है जो समुद्र की लहरों की तरह हिलोरे मारते रहता है। उनका आकर्षण विपरीत लिंगों के प्रति बढ़ जाता है। यह आकर्षण ही उन्हें प्रेम संबंधों की ओर ले जाता है। कामेच्छा बढ़ जाती है। अतः किशोरावस्था को यदि जीवन का बसंत कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning & Definition of Adolescence)

किशोरावस्था अंग्रेजी भाषा के 'Adolescere' शब्द का हिन्दी रुपांतर है जिसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के Adolescere (एडोलेसियर ) शब्द से हुई है। 'Adolescere' का अर्थ होता है – “परिपक्वता की ओर बढ़ना" (To grow to maturity)। इस दृष्टिकोण से किशोरावस्था बाल्यावस्था एवं प्रौढ़ावस्था के मध्य की अवस्था है। जब बालक का शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, संवेगात्मक परिवर्तन तीव्र गति से होता है। इन्हीं परिवर्तनों के कारण किशोर के व्यवहार में असामान्यता उत्पन्न होने लगती है। उसमें अस्थिरता, सांवेगिकता, अनिश्चितता आदि का प्राबल्य रहता है।

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने किशोरावस्था को अपनी-अपनी शैली में, अपने-अपने तरीके से परिभाषित किया है। कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नानुसार हैं-

(1) काइमाइकेल के अनुसार - "किशोरावस्था जीवन का वह समय है, जहाँ से एक अपरिपक्व व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक विकास एक चरम सीमा की ओर अग्रसर होता है। दैहिक दृष्टि से एक व्यक्ति तब किशोर बनता है, जब उसमें वयः संधि अवस्था प्रारंभ होती है तथा उसमें संतान उत्पन्न करने की योग्यतां प्रारंभ हो जाती है।"

(2) आइजनेक के अनुसार — “किशोरावस्था वंय संधि के बाद की वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति में आत्म उत्तरदायित्व का स्थापन होता है। "

(3) जर्सिल्ड के अनुसार — “किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें एक विकासशील व्यक्ति बाल्यावस्था से परिपक्वावस्था की ओर बढ़ता है।"

(4) डार्थी रेजर्स के अनुसार — “किशोरावस्था एक काल (अवधि) की अपेक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें समाज में प्रभावशाली ढंग से सहभागिता निभाने के लिए अभिवृत्तियों एवं विश्वासों को अर्जित किया जाता है।"

(5) एनडर्सन (Anderson) के अनुसार - "किशोरावस्था यौवनारम्भ से लेकर पूर्ण ऊँचाई ओर वजन एवं वृद्धि की प्राप्ति तक की अवस्था है। इस काल में व्यक्ति घर के बाहर के दायरे में होता है और शारीरिक एवं मानसिक रूप से आत्मनिर्भर बनता है।"

(6) एनसाइक्लोपीडिया ऑफ साइकोलौजी के अनुसार — “किशोरावस्था को सभी सामाजिक वर्गों के नवयुवकों को प्रमुख प्रक्रिया के रूप में उल्लेखित किया गया है जो आधुनिक सभ्यता एवं संस्कृति की एक पुंज हैं।"

(7) ऐरिकसन (Erikson ) — “किशोरावस्था तीव्र गति से होने वाले परिवर्तनों का काल है- शारीरिक, शरीर क्रियात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक। यह वह समय है जब सभी समानताओं तथा निरन्तरताओं जिन पर पहले पूर्ण विश्वास किया जाता था अब उन विश्वासों पर पुनः प्रश्नचिन्ह लग जाता है। "

हॉल (Hall ) के अनुसार — “किशोरावस्था तूफान और तनाव की अवस्था है।" (Adolescence is a period of storm and stress)

किशोरावस्था की विभिन्न अवस्थाओं में निम्नलिखित विशेषताएँ देखी जाती हैं-

(1) पूर्व किशोरावस्था (Pre Adolescence ) — यह समय 10 या 11 वर्ष से लेकर 12 या 13 वर्ष तक माना जाता है। इस समय बालक दुबला-पतला और लम्बा दिखाई देता है। वह बहुत अधिक चंचल और क्रियाशील हो जाता है। वह थकान का अनुभव जल्दी ही करने लगता है और उदासीन हो जाता है। इस अवस्था में लड़के और लड़कियाँ अपने से बड़ों के प्रति अविश्वास, संदेह और चिड़चिड़ापन दिखाते हैं। वे बहुत जल्दी अप्रसन्न हो जाते हैं और अक्सर यह शिकायत करते देखे जाते हैं कि बड़े लोग उन्हें ठीक से समझते नहीं हैं या उनके साथ उचित व्यवहार नहीं दिखाते हैं। वे अत्यधिक संवेदनशील और आत्म संचेत हो जाते हैं। कभी-कभी वे क्रोध, भय या प्रेम का संवेग तीव्र रूप में दिखाते हैं। माता-पिता और साथियों के बीच संघर्ष होने पर उनमें निराशा देखी जाती है। इस आयु में वे स्वतन्त्रता चाहते हैं और वे दूसरों की इच्छाओं व माँगों का विरोध करते हैं। वे अधिकांश समय अपने मित्रों या साथियों के साथ व्यतीत करते हैं। इस आयु में वे कपड़े पहनने, भाषा का प्रयोग करने, व्यवहार और मूल्यों की दृष्टि से अपने समवयस्कों की पूर्ण अनुरूपता प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। उन्हें अपने साथियों के नियमों और प्रतिमानों को स्वीकार करना और उनके अनुरूप कार्य सीखते देखा जाता है। साथियों का समूह भी अपने सदस्यों में से अनुरुपता की माँग करता है। इस काल के सामाजिक विकास की यह विशेषता होती है कि लड़कियाँ, लड़कियों के साथ रहना पसन्द करती हैं और लड़के लड़कों के साथ। इस आयु में आदर्शवाद की भावना बहुत तीव्र होती है तथा वे न्याय और औचित्य का बहुत अधिक पक्ष लेते हैं। वे उचित व्यवहार का उल्लंघन करने वाले लोगों या अपने साथियों को चुनौती देने से घबराते नहीं हैं। उनमें गहरे अर्न्तविवेक का विकास होता है और स्वयं को अपराधी या दोषपूर्ण अनुभव करते हैं। व्यवहार के दोहरे आदर्श वे सहन नहीं करते हैं। इस आयु के बालकों में विश्वस्तरीय घटनाओं, सामाजिक, राजनैतिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले विकासों को समझने की तीव्र इच्छा देखी जाती है। उनकी रुचि पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने में देखी जाती है। सामूहिक जन-साधनों विशेष रूप से फिल्म, रेडियो और टेलीविजन कार्यक्रमों में उनकी रुचि देखी जाती है।

(2) आरम्भिक किशोरावस्था (Early Adolescence ) - यह लगभग 12 वर्ष से 15 वर्ष तक का काल है। इस आयु में किशोर को नये विचारों एवं नयी शरीर आकृति को स्वीकार करना पड़ता है। इस आयु में किशोर को नये विचारों एवं नयी शरीर आकृति को स्वीकार करना पड़ता है। बालक अपने शरीर, आकार-प्रकार और लम्बाई-चौड़ाई में बहुत अधिक रुचि लेते हैं। लड़कों में अपने शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाने, पेशियाँ उभारने और व्यायाम में रुचि देखी जाती है। लड़कियाँ अपने शरीर की सुन्दरता, चेहरे की बनावट, रंग आदि में रुचि प्रदर्शित करती हैं। लड़के पुरुषत्व के प्रति तथा लड़कियाँ अपने स्त्रीत्व के प्रति सजग होती हैं। इस आयु में समलैंगिक सदस्यों के साथ मित्रता के सम्बन्ध घनिष्ठ होते देखे जाते हैं। साथ ही साथ विपरीत लिंग के सदस्यों में भी रुचि बढ़ जाती है।

(3) उत्तर-किशोरावस्था - यह अवस्था लगभग 16 से 19 वर्ष की आयु तक होती है। लड़कियों में यह एक वर्ष पूर्व प्रारम्भ होती है। पूर्व किशोरावस्था में प्रारम्भ हुई परिपक्वता इस अवस्था के अंत तक सामान्यतः पूर्णता प्राप्त कर लेती है। इस अवस्था में किशोरों के व्यवहार में काफी स्थिरता आ जाती है। अपनी कुछ समस्याओं को समझ कर सुलझाने लगता है। अब किशोर अपने संवेगों पर भी अपेक्षाकृत नियंत्रण कर सकता है। इस अवस्था में बड़ों का हस्तक्षेप कम होने लगता है। मित्रता में भी स्थिरता आने लगती है। अब किशोर स्वयं पर ध्यान देने लगते हैं तथा समाज के मूल्यों, नियमों तथा अनुभवों के आधार पर वास्तविकता की ओर ध्यान देने लगते हैं, चूंकि किशोर युवावस्था की ओर अग्रसर होने लगता है अतः वह व्यवहार, पहनावा, आदतों बातचीत के ढंग सभी में बड़ों का अनुकरण करने लगता है। इस अवस्था में किशोर की जो जीवन शैली बन जाती है वहीं जीवन शैली थोड़े बहुत परिवर्तनों के साथ जीवन पर्यन्त चलती रहती है।

किशोरावस्था ही वह अवस्था है जो बालकों को सम्पूर्ण दृष्टि (शारीरिक, मानसिक आदि) से प्रौढ़ एवं सुदृढ़ बनाती है। वैयक्तिक भिन्नताओं के कारण कुछ बालक-बालिकाओं में किशोरावस्था से सम्बन्धित लक्षण शीघ्र एवं अधिक स्पष्ट रूप में दिखाई देने लगते हैं तथा कुछ में देर से।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  2. प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  3. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  5. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  6. प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
  10. प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
  11. प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
  12. प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
  14. प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
  16. प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
  17. प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
  19. प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  23. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  24. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
  25. प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
  26. प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
  28. प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
  29. प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
  30. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  31. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  32. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  33. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  34. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
  35. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
  37. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
  38. प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
  48. प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
  51. प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
  54. प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
  56. प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
  57. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
  58. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
  60. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
  64. प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
  65. प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
  66. प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
  67. प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
  72. प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
  75. प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
  77. प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
  79. प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
  80. प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
  81. प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
  82. प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
  84. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  85. प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
  86. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  87. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  88. प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  90. प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  92. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
  93. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
  96. प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
  97. प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
  99. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
  101. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
  102. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  104. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
  105. प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
  107. प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
  111. प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।

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